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Preeti Sharma "ASEEM"

Abstract

4.8  

Preeti Sharma "ASEEM"

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सुनते हैं

सुनते हैं

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326


किस की सुनते है ? 

दूसरो की या अपनी 

लेकिन सच ? 

सिक्के के इस

पहलू -सा नहीं है

जबकि ! 


सुन कर हम समझ 

ही नहीं पाते कि, 

आखिर, हम किस

की सुनते है ? 

किस की


न तो दिल की, 

आवाज़ उठा पाते है

न ही, 

सही विचार को, 

सत्यता से,

आत्मसात कर पाते है


हम किस से, 

डरते है ? 

जो कुछ नहीं सुन पाते हैं

सच तो यह है कि हम,

बस भेड़ -चाल ही सुन पाते हैं


चाहे इस भेड़ -चाल की, 

कोई सोच नहीं होती

फिर भी हमारा समाज, 

पीटता है लकीरें

चाहे कोई बात नहीं होती

दुनिया क्या कहेगी ?


बस एक प्रश्न चिन्ह -सी बात है होती

क्या चलन है, दुनिया का

जीवन से लेकर मृत्यु तक  

अपनी आवाज़ को दबा कर, 

बस एक भेड़ -चाल होती 


जीवन के तमाम बखेड़ों तक, 

सही राह दिखाने की, 

कोई बात नही होती


बस दुनिया क्या कहेगी ?

क्या कहेगी ?

न दूसरों की न अपनी

बस एक ही बात सुनती।


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