सुन्दर सी नारी है सब पे भारी
सुन्दर सी नारी है सब पे भारी
सुन्दर सी नारी है सब पे भारी
रोको उसे न टोको उसे
ना समझो भोगी।
देके अपने दूध की कसम
न उसे कमज़ोर करो
बढ़ने दो, लड़ने दो।
ना बनो उसके पैर की बेड़ियाँ
ना उसे फूल की तरह
कुचलों भी।
लावा की तरह जब वो फुटेगी
तब पड़ेगी बारी आज की नारी
बढ़ने दो लड़ने दो उसे
उड़ने दो उसे।
मत रोको न मत टोको
पढ़ने दो चलने दो
बस आगे ही आगे।
तभी तो बढ़ेगी
आज की नारी।
