सुबह हो गई
सुबह हो गई
अंधेरा हुआ
अलविदा करता रात को
बीती रात कमल दल फुले
खिले कमल और
सूरज की किरणों की लालिमा
लगती चुनर पहनी हो
फिजाओं ने गुलाबी
खिलते कमल लगते
तालाब के नीर ने
लगाई हो जैसे
पैरों में महावार
भोर का तारा
छुप गया उषा के आँचल
पंछी कलरव,
माँ की मीठी पुकार
सच अब तो सुबह हो गई।