स्त्री
स्त्री
गया वो जमाना
गया वो दौर
जब स्त्री को अबला
समझा जाता था
पर्दे के पीछे,घर की
चाहरदीवारी में इनको
रहना पड़ता था
अब समय ने करवट लिया है
इतिहास स्त्रियों का बदला हैं
आज की स्त्री कमजोर नहीं हैं
अबला नहीं,अशिक्षित नहीं हैं
आत्मसम्मान से जीना जानती हैं
स्वरोजगार भी प्राप्त कर
धन संचय करना जानती हैं
ऐसी स्त्रियों को मैं सदा ही
नमन करता हूँ, जिसके कारण
समस्त नारी-शक्ति को
आगे बढ़ते जब मैं देखता हूँ।
