STORYMIRROR

सृजन

सृजन

1 min
469


कोरे कागज़ पर कलम की छुअन

जैसे

बौछार शुरू करने वाली पहली बूँद

छप्प से गिरे

एक नन्हे बच्चे के गाल पर,


और उसकी किलकारी से

ख़ुशी से सिहर जाये

माँ का मन

और जिसकी प्यार भरी झिड़की सुन

बच्चा रो दे बस नकली सा,


जिसे देख

हँसे दद्दू पोपले मुँह से

और मिट्टी से सोंधी हुई हवा

अम्मा को याद दिला दे

अपने चौके की,


जिसके आस पास

खेल कूदकर पापा ने

बोलना, चलना

रोना, हँसना

नहाना, धोना

लिखना, पढ़ना सीखा था।


भर जाए आँखें,

बच्चे की, माँ की,

दद्दू की, अम्मा की

और सबको देखकर पापा की..


और छप्प से गिरे

उनकी नोटबुक में खुले पन्ने पर लिखी

अधूरी सी कविता पर

एक बूँद स्याही

और पूर्णविराम लगा दे,


जैसे बौछार करने वाली

नन्ही सी बूँद

करे सृजन सृष्टि का.....।


ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
ଲଗ୍ ଇନ୍

More hindi poem from mayankaism mayankaism

सृजन

सृजन

1 min ପଢ଼ନ୍ତୁ

Similar hindi poem from Drama