सफर शायर तक...
सफर शायर तक...
आपकी नज़ाकत को हमने जो कागज़ पे उतारा,
लोगों ने हमें बदनाम कर डाला,
गुनाह कर बैठे थे उनकी नजरों में हम,
और आपकी नजरों ने सलाम कर डाला,
यूँ तो हम पहले बड़े आम हुआ करते थे
आपने बस 'माशा अल्लाह' किया;
तो हम ने 'शायर' खुद का नाम कर डाला।