सोनपरी
सोनपरी


तुमने छू लिया आसमान ज़मीन पर
गिरते-पड़ते तुमने नाप ली ज़मीन
पंख पसार उड़ते-उड़ते तुमने
दिखा दिया सबको भूख जागती है
कैसे कुलबुलाहट ज़हन की सरपट
भागती है कैसे
तुमने दे दिये औरों को ढेरों सुनहरे
सपने सुंदर जला दी तुमने लौ सब
में लगा कर आग अपने अंदर
तुमने भेद डाले दिमाग
पेश की नई मिसाल लिख दी एक
इबारत हाथ में लेकर मशाल
तुमने जड़ दिये सितारे तुम बिटिया
चंदा के जितनी सपने कर दिये हैं
ज़िंदा पैदा हों अब हिमा कितनी..!