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Krishna Khatri

Abstract

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Krishna Khatri

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सोमरस !

सोमरस !

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बंदी शराब पर क्या हटी 

सारे बंधन टूट गए

अब मौत का खौफ नहीं

जान की भी परवाह नहीं 

कैसी बातें करते हो तुम 

अरे यार ,,,,,,,

ये तो है सोमरस 

जमाने गुजर गए हैं 

इसको चखे हुए 

अब भला ,,,,,,,

कोई कबतक रुकेगा 

बस कर रहे हैं इंतज़ार 

अपनी बारी का 

अब कोई डर नहीं 

ऐसी की तैसी मौत की 

क्या कर लेगा कोरोना 

लो ये सोमरस ,,,,,,,,

थोड़ा तुम भी चखो ना !


         



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