STORYMIRROR

समय के पाबंद

समय के पाबंद

1 min
2.9K


लकातरो पे जान लटके

सांसें भी जब धीमी हो जाती है

याद आता है वो समां

जब हम ना थे

इस वक्त के पाबंद

आज धडकने चले तो सही

पर रुह थमसी गयी है

इस आसमनो का पता तो बता दो

के लम्हें पाबंद हो गये है

इस समय के

के लम्हें पाबंद हो गये है

इस समय के

इस समय के


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract