समझ में न आया...
समझ में न आया...
बहाकर ले गया जैसे वो मुझसे मेरा वजूद
समझ में न आया, समुद्र की लहरे थी या हवा का झोंका
यूँही दरकीनार कर दिया मुझे अपने आपसे
समझ में न आया, की मैं उसकी छाया थी या साया
यूँही छोड़ गया मुझे मझदार में अकेला
समझ में न आया, काफ़िर था या खेवैया
कितनी सफ़ाई से बोल लेता है वो झूठ
समझ में न आया, सच मानू या झूठ
यूँही एकाएक मुझ पर झुँझलाकर चिल्लाना
समझ में न आया, मोहब्बत थी या वो एकतरफ़ा ऐतबार
फिर समझ में आया
दिक्कत तभी तक है, दिल दिमाग पर हावी है जब तक,
वरना ना समझ में आने वाली ऐसी कोई बात भी ना थी!