सक्षम
सक्षम
मुझे अक्षम कहने वालों
कभी क्या तुम हो सकोगे
इतने सफल और सक्षम
क्या तोड़ सकोगे जंजीरें
मन की क्या ला सकते
गौरव और मान देश का
सक्षमता शरीर की क्या
रखती मायने जो हों मन
मात्र से विकलांग, जो औरों को
करें प्रताड़ित, उड़ाएँ हास
लें प्रण की हम बने सहारे
ऐसी दुनिया क्यों न बनाएँ
जहाँ मिले कड़ियों से कड़ियाँ
हो रहे तन मन धन से
माँ भारती के सच्चे सपूत
बनें सभी जन सहिष्णु
कि अक्षमता है बहुत बुरी
हो तन कि चाहे हो मन की
तन की तो है दिख भी जाए
पर मन की हो तो राम बचाए