सीख
सीख
उठो जवान देश के,
तुझे क्या हो गया।
तू वीरों की संतान है,
अरे!तू कहां खो गया।
तू जो चल पड़ा तो,
यह देश चलेगा।
हमारा बगीचा,
खूब फूलेगा फलेगा।
तेरे शरीर में वीरों का लहू है,
चल पड़ा यदि तू,हर काम लघु है।
कहां पड़ा है प्रमाद में,
आगे बढ़ना सीख।
देश के खातिर,
जीना मरना सीखा।।
