STORYMIRROR

सीख रहा हूँ

सीख रहा हूँ

2 mins
13.9K


आसमाँ की ख्वाहिश कौन करे,

जब जमीं से

ही प्यार हो जाये।

 

सितारों को

छूने की कोशिश क्यूँ करे,

जब चाँद ही

तुम्हारा यार हो जाये।

 

कहते तो हैं लोग

चाँद तोड़ लायेंगे,

जब करना हो,

तो टूटे हुए

दिल को भी ना जोड़ पायेंगे।

 

वादे करने की

भी अब आदत नहीं रही,

लोग अक्सर तोड़

देते हैं कर के।

 

साथ चलने से

भी डरता है दिल,

लोग अलग ही

मोड़ ले लेते है,

थोड़ी देर

साथ चल के।

 

सीख रहा हूँ,

किसी से

मोहब्बत करने का नया अंदाज,

समझ रहा हूँ,

किस पे करना

है नाज़ और किससे ऐतराज़।

 

सीख रहा हूँ,

सादगी के साथ, थोड़ी चालाकी भी जरुरी है,

चाहकर भी कभी

ना कहना, इस

जमाने की मजबूरी है।

 

सीख रहा हूँ,

अपनों का

अपनाना, और दुनिया की बातों को अनदेखा करना,

कम कर रहा हूँ मैं आजकल,

दूसरों के बारे में सोचना।

 

सपनों में

खोने की आदत पुरानी थी,

बीते कल में

जीने की मुझको बीमारी थी।

अब बस सीख रहा हूँ,

आज और इस पल

को पूरी तरह से जीना।

 

लोगों को पहचानने

में पहले गलती किया करते थे,

अब तो सूरत

से ही सीरत का पता चल जाता है।

 

दोस्त तो सभी

होते हैं पर यार सभी होते नहीं।

अपना तो सब कहते

हैं पर प्यार सभी करते नहीं।

सीख रहा हूँ,

अन्याय के

खिलाफ डट कर लङना|

 

सीख रहा हूँ,

अपनों को साथ

लेकर आगे बढ़ना।

 

सामना तालियों से हुआ था,

गालियों से

कभी हुआ न था।

अच्छे ही लोग

मिले थे जिंदगी में,

मवालियों से

कभी मिला न था।

 

लगता था सब

आता है हमें,

पर बहुत कुछ

सीखना बाकी था।

नसीब भी देखो, जब प्यास लगी थी

तो साथ में

हमारे साकी था।

 

कुछ लोगों का सिखाने का अंदाज भी बड़ा निराला होता हैं,

यूँ ही नहीं, ज़माना

ये सारा, उनकी बातों का दिवाना होता हैं।

सुना था, खुदा अक्सर भेजता कोई फरिश्ता है,

मिले, तो पता चला उनसे हमारा जन्म-जन्म का रिश्ता है।।

 



Rate this content
Log in

More hindi poem from Suyog Potdar

Similar hindi poem from Drama