श्रीमद्भागवत - ३९;दित्ति का गर्भधारण
श्रीमद्भागवत - ३९;दित्ति का गर्भधारण
विदुर जी कहें, हे मुनिवर
प्रभु जब आए सूकर रूप में
हिरण्यक्ष का वध क्यों हुआ
क्यों मुठभेड़ हुई थी उनमें।
मैत्रेय जी कहें, ये प्रश्न है सुंदर
तुम्हें सुनाऊँ मैं विस्तार से
उतानपाद का पुत्र ध्रुव था
नारद जी उसके पास गए थे।
हरि कथा नारद ने सुनाई
बाल्यकाल में, भक्त उस ध्रुव को
जन्म मृत्यु से मुक्त हुआ
परमपद पर हुआ आरूढ़ वो।
एक बार देवताओं ने भी
ब्रह्मा जी से यही था प्रशन किया
भगवान और हिरणयक्ष के युद्ध का
ब्रह्मा जी ने तब था वर्णन किया।
हे विदुर, एक बार की बात है
दक्ष पुत्री दित्ति जो थीं
पुत्र प्राप्ति की इच्छा से
पति कश्यप के पास गयीं थीं।
सायंकाल का समय तब था
ध्यानासन में कश्यप बैठे थे
दित्ति कामातुर हो रही थी
कहे उनसे, पुत्र चाहिए मुझे।
कहे, आप कृपा करो मुझपर
तब कश्यप बोले थे उसको
इच्छा ज़रूर पूरी करूँगा
एक मुहूर्त और तुम रुक लो।
यह अत्यन्त घोर समय है
राक्षस आदि घोर जीवों का
देखने में भी बहुत भयानक
समय है ये भूत प्रेतों का।
भूतनाथ इसमें विचरते
साथ गणों के, बैल पर चढ़ कर
सभी को देखते रहते हैं वो
सूर्य, चंद्रमा, अग्नि उनके नेत्र।
पति के समझाने पर भी ना मानीं
दित्ति ने उनका वस्त्र पकड़ लिया
देव को स्मरण किया कश्यप ने
एकांत में फिर उनसे समागम किया।
जल में स्नान कर, ब्रह्म का ध्यान कर
उसी का जाप करने लगे वो
दित्ति को भी तब लज्जा आई
ऋषि से इस प्रकार कहें वो।
वो बोली, रुद्र भूतों के स्वामी
अपराध किया उनका है मैंने
मुझपर वो प्रसन्न हों और
मेरा गर्भ वो नष्ट ना करें।
कश्यप जी पूजा से निवृत हुए
देखें दित्ति डर से कांपे है
बार बार प्रार्थना कर रही
पुत्रों की कुशल माँगे है।
दित्ति से तब कहा कश्यप ने
चित तेरा कामना में मलीन था
मेरी बात भी मानी ना तुमने
समय भी वो ठीक नहीं था।
अमंगलमय और अधम पुत्र दो
तुम्हारी कोख से पैदा होंगे
अपने अत्याचारों से वो
लोकों को बहुत दुःख देंगे।
श्री हरि अवतार तब लेंगे
पाप के उनकी अति होगी जब
उन दोनों का वध करेंगे
रक्षा करेंगे लोगों की तब।
दित्ति को अपने किए पर शोक था
कश्यप जी ने उनको कहा ये
पश्चाताप तूने प्रकट किया और
आदर तुम्हारा विष्णु और शिव में।
इसीलिए तुम्हारे पुत्र का
एक पुत्र भी ऐसा होगा
सत्पुरुष भी उसका मान करेंगे
दुनिया में उसका यश होगा।
भगवान की भक्ति में तत्पर वो
भंडार होगा वो कई गुणों का
हरि का प्रत्यक्ष दर्शन करे वो
प्यारा होगा वो भक्तजनों का।