Mahavir Uttranchali

Abstract

4.9  

Mahavir Uttranchali

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श्री महावीर हनुमत चालीसा

श्री महावीर हनुमत चालीसा

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दोहे :

हे हनुमत, हे विश्व गुरु, प्रभु भक्त महावीर
उत्तम फल वाको मिले, जो सुमिरे रघुवीर //1.//

बिसरायें दुष्कर्म को, हम तुच्छ बुद्धिहीन
हे बलधामा भक्त को, न रखिए दीन हीन //2.//

चौपाई :

हे कपीस करुणा की मूरत
सब से न्यारी तेरी सूरत //1.//

भक्त अनोखे तुम रघुवर के
काज किये सब जी भर भर के //2.//

हो बलशाली अंजनी नन्दन
करता यह जग तेरा वन्दन //3.//

हो पवन पुत्र आप अनूठे
आपसे कोई सन्त न रूठे //4.//

युग सहस्त्र योजन की दूरी
पलक झपक कर डाली पूरी //5.//

तेज प्रताप ऐसा निराला
सूरज का कर लिया निवाला //6.//

नाम सुनी सब कांपे बैरी
शनि की दृष्टि न तुमपे ठहरी //7.//

शोभित घुंघराले केशों में
रहें छिपकर साधु वेशों में //8.//

कंचन काया, छवि निर्मल है
हाथों में ज्यों गंगा जल है //9.//

हनुमत का बल बज्र समाना
सम्मुख शत्रु तनिक ना आना //10.//

कांधे उन के सजा जनेऊ
राम लखन-सा करते नेहू //11.//

रामचरित कंठस्त उन्हें है
पल पल प्रभु की याद जिन्हें है //12.//

जो बजरंग बली को जपते
जन्म-जन्म के संकट मिटते //13.//

हनुमत नाम को कम न आंके
भूत पिचाश निकट ना झाँके //14.//

महाबली हो, बाहुबली हो
जग में एक बजरंग बली हो //15.//

ज्ञानी तुम, विज्ञानी तुम हो
राम भक्ति के दानी तुम हो //16.//

उत्तम हर व्यवहार किये हो
रामभक्ति को अर्थ दिये हो //17.//

लघु रूप में सिया ने देखा
मिटी विषाद की तभी रेखा //18.//

बजा हनुमत नाम का डंका
पूँछ जली तो फूंकी लंका //19.//

दुष्ट असुर इक-इक कर तारे
खलनायक रावण के प्यारे //20.//

माता का सन्देशा लाये
राम लखन दोनों हर्षाये //21.//

हे हनुमत तुम प्यारे ऐसे
भाई भरत दुलारे जैसे //22.//

प्रभु सेवक ऐसा ना दूजा
जिसकी सब करते हों पूजा //23.//

भक्तों में है नाम तिहारा
दीन दुःखी का आप सहारा //24.//

दिगपाल करें पल-पल वन्दन
देवी, देव करें अभिनन्दन //25.//

यम, कुबेर हैं भक्त तुम्हारे
ऋषि-मुनि भी आरती उतारे //26.//

राम मिले तो बाली तारा
यूँ सुग्रीवहिं काज सँवारा //27.//

शरणागत को मित्र बनाये
काम प्रभु के विभीषण आये //28.//

जब जीता प्रभु ने भीषण रण
लंकापति बने, प्रिय विभीषण //29.//

हैं प्रसन्न सारे नारी – नर
रामभक्ति में डूबे सब घर //30.//

कठिन सभी के काज सँवारे
राम दया की दृष्टि सहारे //31.//

बल दो हमको हे बलशाली
अर्ज आपसे जाय न टाली //32.//

भक्तों के रक्षक बजरंगी
दुष्टों के भक्षक बजरंगी //33.//

शत्रु आगे टिके ना कोई
इनका तेज सहे ना कोई //34.//

तुमसा नाथ कोई न दूजा
सकल विश्व में तेरी पूजा //35.//

राम भक्तों पे कृपा तेरी
कही न जाये महिमा तेरी //36.//

अष्ट सिद्धि नौ निधि के स्वामी
महाबली तुम, अन्तर्यामी //37.//

हर संकट से आप बचाएँ
भक्तों के सब कष्ट मिटाएँ //38.//

मनचाहे फल सब वो पावें
जो निशदिन हनुमत को ध्यावें //39.//

महावीर कवि, दास तुम्हारा
जन्म-जन्म प्रभु, आप सहारा //40.//

दोहा:

हर लेना संकट सभी, मंगल भक्त स्वरूप
तेरी महिमा क्या कहें, तेरे रूप अनूप

\\ इति  \\



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