शिक्षक
शिक्षक


"गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वर:
गुरु साक्षात परम ब्रह्मा, तस्मै श्री गुरुवे नमः।।"
पहला गुरु मेरी माँ, देकर जनम दिखाया
ये सुंदर जहाँ..
दूसरे गुरु पिता मेरे उंगली पकड़कर सही राह पर
चलना सिखाया
तीसरे गुरु शिक्षक मेरे,
विद्या का भंडार दिया
कभी प्यार से, कभी डांट से कभी गुस्से से हमें सँवार दिया।
एक कच्ची माटी के पुतले को हीरे सा चमका कर इस संसार में रोशन किया ।
कांटे भरी राह को फूलों के
रास्ते से भरने का वरदान दिया।
कोरे कागज पर सुंदर शब्द लिखकर एक किताब का निर्माण किया
मान सम्मान से जीने का सलीका देकर
उन्होंने हम पर एक उपकार किया।
हम सभी करते उनको प्रणाम
जिनके चरणों में मिलता पूर्ण ज्ञान
“बिन गुरु ना शिष्य है ना ये ज्ञान-विज्ञान
ना जीवन की कल्पना, ना जीवन का मान सम्मान”!