शीर्षक - प्रेरणा
शीर्षक - प्रेरणा
ताटक छंद --------
काँटों में भी रहकर प्यारे, गुलाब सा हँसना सीखो।
फूल मिले चाहे अंगारे, राह सही चलना सीखो।
चमक चाहते अगर सूर्य सी, रवि समान जलना होगा।
निखरोगे फिर कुन्दन बनकर, अग्नि में पिघलना होगा।।
मंजिल उसको मिलती देखो, जो हर पल चलता रहता।
थककर हार मानने वाला, बस पीछे बैठा रहता।
लक्ष्य करो अपना निर्धारित, बस आगे बढ़ते जाओ,
कदम सफलता चूमेगी ही, कर्म सदा करते जाओ।।
इतिहास लिखे कहानी जो न, बाधा से घबराते हैं।
परवाज़ हौसलों की भर जो, नभ के तारे लाते हैं।
मंजिल को पाने की खातिर, इक जुनून खुद में पालो।
दृढ़निश्चय, मजबूत इरादा, साहस फौलादी ढालो।।
लाँघ लोगे विघ्न के पर्वत, न कमजोर खुद को आँको।
शक्ति तुममें भरी है कितनी, अपने अंतस में झाँको।
उठो शिवा, राणा के वंशज, मंज़िल तुम्हें बुलाती है।
लहराओ तुम कीर्ति पताका, प्रेरित "सुमन" बनाती है।।
