" गुरु महिमा " ( ग़ज़ल)
" गुरु महिमा " ( ग़ज़ल)
गुरु के चरणों में कोटिशः नमन कीजिए।
धन्य अपना ये जीवन रतन कीजिए।।
ईश से भी बड़े हैं कहाते गुरु।
आप पायें कृपा ये जतन कीजिए।।
राह सबको सही वो दिखाते सदा।
काम सब नेक होकर मगन कीजिए।।
वो सँवारें भविष्य लगन से आपका।
बात है ये सही खुद मनन कीजिए।।
दान विद्या का दें दूर अवगुण करें।
पथप्रदर्शक सभी के वंदन कीजिए।।
ज्ञान के सिंधु आदर्श जीवन चरित्र।
बन विनम्र आप सब कुछ ग्रहण कीजिए।।
मन का तम जो हरें ज्ञान का पुंज दें।
भाव श्रद्धा से अर्पित " सुमन " कीजिए।।
