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Nitu Mathur

Abstract

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Nitu Mathur

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शेरनी

शेरनी

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समंदर किनारे के पत्थर नहीं

तुम हो चट्टान सागर की

तुम जड़ तुम दृढ़ तुम सशक्त कठोर

अपने अद्भुत करतब से दिखा रही हो जोर,


 ना आदि न अंत...तुम हो एक अनंत किरन

वन की शेरनी तो तुम, तुम्हें देख स्तब्ध सभी

क्या चीता, क्या हिरन


     


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