शायरी
शायरी
मेरी यादें ही मेरा ग़म होता है
शायरी से ही वो थोड़ा कम होता है।
मेरी शायरी कोई अजनबी नहीं
वो तो कोई हमदम होता है।
लोग सोचते है जादुई कलम होता है
पर उन्हें क्या पता मेरी शायरी ही मेरा आलम होता है
जख्म जब दिलके होते हैं
तब मेरी शायरी ही मरहम होता है।
मेरी शायरी कोई रचना नहीं होती
किसीकी यादोंका मौसम होता है।
