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Amit Kumar Tripathi

Abstract

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Amit Kumar Tripathi

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सच्चाई

सच्चाई

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अब तो थोड़ा बिगड जाओ क्या करोगे इस अच्छाई का

ये दुनिया बनी दिखावे की यहाँ मोल नहीं सच्चाई का।


सांसो का समंदर कहता है की तुममे है कुछ रूखापन

तुम तो बिलकुल ऐसे ना थे, तुम्हें लूट गया है अपनापन।


एक शिकायत और भी है क्यों तुमने झूठ नहीं बोला

नहीं चाहिए उसे हक़ीक़त छोड़ो भी ये भोलापन।


तुम समझे क्या वो क्या निकले इस बात का अब मतलब क्या है 

हर साँस शिकायत करती है मुझसे मेरी सच्चाई की।


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