"सच्चाई"
"सच्चाई"
जीवन हैं, दो दिन को मेला,
हंस चल दओं अकेला।
धन दौलत कछु काम न आवै,
जा में मूरख जीवन गवावें।
संग न जावै धेला,
हंस चल दओं अकेला।
जीवन-----
भाई-भतीजे कुटुंब कबीला,
अटा-अटारी, धन है सकेला।
गाड़ी, मोटर ठेला,
हंस चल दओं अकेला।
जीवन-----
अंत समय कछु न आवें,
अपनी करनी को फल पावै।
हो जाओं संतन को चेला,
हंस चल दओं अकेला।।
