सच्चा योद्धा
सच्चा योद्धा
मर मरकर जीने से अच्छा,
एक बार मरकर जीना।
चाहे छप्पन इंची हो,
या चाहे छत्तीस का सीना।।
योद्धा डरा नहीं करते हैं,
गीदड़ के धमकाने से।
दुश्मन नौ दो ग्यारह होते,
योद्धा के आ जाने से।।
आत्म प्रशंसा का योद्धा तो,
खुश होता है सुन सुनकर।
सच्चा योद्धा वह होता है,
रण रिपु मारे चुन चुनकर।।
सूर्य नहीं छिपा करता है,
बादल के छा जाने पर
उसका तेज वही दिखता है,
बादल के छँट जाने पर।।
योद्धा शिथिल नहीं पड़ता है,
विपदाओं के आ जाने पर।
लक्ष्य भले कितना मुश्किल हो,
दम लेता है पा जाने पर।।
योद्धा मरा नहीं करता है,
जीता है अपने गुमान पर।
कथा कहानी बन करके वह,
जीवित रहता हर जुबान पर।।