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Soumitra Shukla

Romance

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Soumitra Shukla

Romance

सच कहो!

सच कहो!

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फिर से लौट कर जो तुम आई हो

सच कहो ये तुम हो या बस एक परछाई हो

कभी लगता है कि तुम सिर्फ एक कल्पना हो 

कभी लगता कि बस तुम ही सच्चाई हो

कभी लगता बस दिल का शोर हो तुम

कभी लगता मेरी ही परछाई हो

कभी लगता मेरा ख्वाब हो तुम

कभी लगता अप्सरा कोई दूसरे लोक से आई हो

कभी लगता बस मेरी हो तुम

कभी लगता कि पीर पराई हो

कभी लगता रेत की तपिश हो तुम

कभी लगता शीतल चंचल पुर्वाई हो

अब और क्या कहूं तुम्हारे बारे में

तुम कब भला कुछ शब्दों में सिमट आई हो

सच कहो ये तुम हो या बस एक परछाई हो

सच कहो तुम कल्पना हो या बस तुम ही सच्चाई हो।


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