साथ
साथ
मालूम नहीं तुम समझ पाओगे या नहीं, बहुत सी बातें जो अभी भी रह गयी,
जो तुमसे कहना चाहता हूँ, ऐसा नहीं की मुझे याद नहीं,
बस डर है तुम उसे समझ पाओगे ना।
बहुत सी यादें जो फिर से झरोखे से निकाल कर महसूस करना चाहता हूँ।
रिश्ते जो कमजोर हो गए, उन्हें फिर से एक नई शुरुआत देना चाहता हूँ,
मालूम नहीं तुम समझ पाओगे या नहीं ॥
जो रास्ते कभी कठिन लग रहे थे, एक बार फिर से चलने की चाहत है,
मालूम नहीं तुम उन रास्तों पे साथ दोगे या नहीं।
मालूम नहीं तुम समझ पाओगे या नहीं॥

