Sudhirkumarpannalal Pratibha
Action Thriller
यह
जिंदगी
आज
है
कल
नहीं
रहेगी
तो
परसो
यहीं
शाश्वत
सत्य
ये
और
के
बीच
का
जीवन
जीने
की
सार्थकता
ही
सही
मायने
में
जीना
निरर्थक
घटाना
समय
जाया
करने
जैसा
प्रेम और नफरत
प्रेम को परिभ...
नजरिया
कहानी की परिभ...
यादों में ठहर...
प्रेम की पवित...
बेवजह इजहार क...
आप आजाद हो
यह जीवन रंगबि...
उसके लिए भूगोल चाहे धरती का हो या स्त्री का एक ही उद्देश्य के निमित्त होता है। उसके लिए भूगोल चाहे धरती का हो या स्त्री का एक ही उद्देश्य के नि...
मैं लोग को आदिशक्ति क्या होती है अहसास दिलाना है। मैं लोग को आदिशक्ति क्या होती है अहसास दिलाना है।
ये ढूंढ रहे किसको जग में शामिल तो हूँ तेरे रग में, तेरा ही तो चेतन मन हूँ क्यों ढूंढे ये ढूंढ रहे किसको जग में शामिल तो हूँ तेरे रग में, तेरा ही तो चेतन मन हूँ क्य...
आँचल में छुपा कर घर रखा तो वीर कहाँ से आयेंगे जब मुश्किल से टकराएंगे अभिनन्दन बन पायेंगे। आँचल में छुपा कर घर रखा तो वीर कहाँ से आयेंगे जब मुश्किल से टकराएंगे अभिनन्दन...
ख़ामोशी भी दिले यार का दिया तोहफ़ा होती है। सजा जैसी ज़िंदगी लगती है गर बात ना होती है ख़ामोशी भी दिले यार का दिया तोहफ़ा होती है। सजा जैसी ज़िंदगी लगती है गर बात न...
खटास और मिठास घुला जैसा स्वाद है मजेदार खट्टी मीठी गोलियां। खटास और मिठास घुला जैसा स्वाद है मजेदार खट्टी मीठी गोलियां।
बस कुछ इस तरह, अपनी जिन्दगी से खुद के लिए खुशियों के कुछ पल चुरा लेती हूँ। बस कुछ इस तरह, अपनी जिन्दगी से खुद के लिए खुशियों के कुछ पल चुरा लेती हूँ।
बड़े बड़े बंगलों की बात नहीं है यह साहब मुझे तो अपना घर ही प्यारा लगता है। बड़े बड़े बंगलों की बात नहीं है यह साहब मुझे तो अपना घर ही प्यारा लगता है।
पहल हमारी होनी चाहिये, बनाए चरित्रवान, संस्कार के बल पर ही, जाने सारा ही जहान।। पहल हमारी होनी चाहिये, बनाए चरित्रवान, संस्कार के बल पर ही, जाने सारा ही जह...
कौन कहता है कि गुलशन की जमीं उर्वर नहीं, कौन कहता है कि मेरा ये वतन कमजोर है। कौन कहता है कि गुलशन की जमीं उर्वर नहीं, कौन कहता है कि मेरा ये वतन कमजोर है।
करो प्रकाश, सूर्य अम्बर पर आओ, छटे दुःख के बादल, हर्ष को बरसाओ करो प्रकाश, सूर्य अम्बर पर आओ, छटे दुःख के बादल, हर्ष को बरसाओ
जिंदगी अपने सारे माँ भारती तेरे आँचल में ही मैं गुजार दूँ। जिंदगी अपने सारे माँ भारती तेरे आँचल में ही मैं गुजार दूँ।
वो नहीं जानते थे की उनकी खुले आम दिन दहाड़े नीलामी होगी वो नहीं जानते थे की उनकी खुले आम दिन दहाड़े नीलामी होगी
पेड़ भले ही सारे काटे हो, पर फिर भी ऑक्सीजन पा जाएं हम। पेड़ भले ही सारे काटे हो, पर फिर भी ऑक्सीजन पा जाएं हम।
रखकर प्रगति पथ की नयी एक नींव, करेंगे एक नव भारत का निर्माण। रखकर प्रगति पथ की नयी एक नींव, करेंगे एक नव भारत का निर्माण।
रोज ही आशीष मिलता था चरण छूए बिना अब नमस्ते का न उत्तर आ गये परदेश में। रोज ही आशीष मिलता था चरण छूए बिना अब नमस्ते का न उत्तर आ गये परदेश में।
अब कृपा नहीं अधिकार चाहिये, मेरे वजूद पर ना उपकार चाहिये, अब कृपा नहीं अधिकार चाहिये, मेरे वजूद पर ना उपकार चाहिये,
तब हमें ऐसे महान दिव्यांग महापुरुष को पढ़कर सकारत्मक का ख्याल फिर से आ जाता है। तब हमें ऐसे महान दिव्यांग महापुरुष को पढ़कर सकारत्मक का ख्याल फिर से आ जाता है।
आज कैसी सौगात तू दे गया अपनी प्यारी मुन्नी को तू आज कैसे अकेला छोड़ गया आज कैसी सौगात तू दे गया अपनी प्यारी मुन्नी को तू आज कैसे अकेला छोड़ गया
देख तिरंगा लहराता हमें नाज़ देश पर होता है सोचो आज़ादी पाने को एक वीर क्या खोता है देख तिरंगा लहराता हमें नाज़ देश पर होता है सोचो आज़ादी पाने को एक वीर क्या खो...