Sudhirkumarpannalal Pratibha
Abstract Inspirational Thriller
नफरत केभीतर भीप्रेमकीमात्राहोतीहैलेकिनबहुतहींकमप्रेमकेभीतरभीआंशिकनफरत होतीहैदोनोंएकदूसरेकेपूरकहैएककेबिनादूसराअस्तित्वहीन है
प्रेम और नफरत
प्रेम को परिभ...
नजरिया
कहानी की परिभ...
यादों में ठहर...
प्रेम की पवित...
बेवजह इजहार क...
आप आजाद हो
यह जीवन रंगबि...
कुछ ऐसे भी होते हैं जो बदन पर खाल के जैसे हमेशा को रह जाते हैं ! कुछ ऐसे भी होते हैं जो बदन पर खाल के जैसे हमेशा को रह जाते हैं !
और मैं चुपचाप चुप हो गई हमेशा के लिए...। और मैं चुपचाप चुप हो गई हमेशा के लिए...।
राष्ट्रप्रेम की भावनाओं का, जिनको होता नहीं है अर्थ उन नरों का जीवन भी क्या है राष्ट्रप्रेम की भावनाओं का, जिनको होता नहीं है अर्थ उन नरों का जीवन भी क्या ह...
हर तरफ टूट-टूट कर गिर रहा है वक्त का तंत्र और मुझे कविताओं की चिंता है। हर तरफ टूट-टूट कर गिर रहा है वक्त का तंत्र और मुझे कविताओं की चिंता है।
हिंदी का सम्मान हमारा स्वयं का देश का है सम्मान, हिंदी का सम्मान हमारा स्वयं का देश का है सम्मान,
अपने सतीत्व के लिए अग्नि परीक्षा देती हैं। न जाने कैसी होती हैं ये स्त्रियां ? अपने सतीत्व के लिए अग्नि परीक्षा देती हैं। न जाने कैसी होती हैं ये स्त्र...
यहाँ तो दरिया में पड़े पत्थर की तरह कतरा कतरा टूटा हूँ मैं यहाँ तो दरिया में पड़े पत्थर की तरह कतरा कतरा टूटा हूँ मैं
दिलों की गर्द लिख दूं, झूठ की हद लिख दूं। दिलों की गर्द लिख दूं, झूठ की हद लिख दूं।
रावण को देखा, फिर शीश झुकाया उसने बड़े प्यार से मुझे उठाया गले लगाया, मेरी पीठ थपथपाया रावण को देखा, फिर शीश झुकाया उसने बड़े प्यार से मुझे उठाया गले लगाया, मेरी ...
टुकड़ा - टुकड़ा बंटकर भी, अपना वजूद सिद्ध कर जाऊंगी ! टुकड़ा - टुकड़ा बंटकर भी, अपना वजूद सिद्ध कर जाऊंगी !
चलो दिवाली का एक नया रूप हम दिखाते हैं, दिवाली ऐसी भी होती आप सबको बताते हैं। चलो दिवाली का एक नया रूप हम दिखाते हैं, दिवाली ऐसी भी होती आप सबको बताते हैं।
ककहरा को ककहरा ही रहने दें, उसके दुष्प्रयोग से नई व्याकरण न लिखें। ककहरा को ककहरा ही रहने दें, उसके दुष्प्रयोग से नई व्याकरण न लिखें।
गुप्त आत्मालाप से जाग्रत हो उठती है, आत्म अनुभूतियाँ। गुप्त आत्मालाप से जाग्रत हो उठती है, आत्म अनुभूतियाँ।
अपने मन के तालाब में खिले कमल को कैसे संभालना है जानती है अब मुनिया अपने मन के तालाब में खिले कमल को कैसे संभालना है जानती है अब मुनिया
वहां तुम्हारा राज चलेगा, है ना, सब कुछ शानदार। वहां तुम्हारा राज चलेगा, है ना, सब कुछ शानदार।
क्या, मेरा जीवन किसी सिनेमाघर के पर्दे से कम है ! क्या, मेरा जीवन किसी सिनेमाघर के पर्दे से कम है !
शंख की ध्वनि का हस्तक्षेप फिसल जाये पत्थर की काया से। शंख की ध्वनि का हस्तक्षेप फिसल जाये पत्थर की काया से।
जीवन बदल दिया । शब्द नाद ने ब्रह्मांड को गुंजित कर दिया । जीवन बदल दिया । शब्द नाद ने ब्रह्मांड को गुंजित कर दिया ।
यही बात बार-बार मनुष्यों से कहता हूँ मैं हाँ, समुद्र हूँ मैं। यही बात बार-बार मनुष्यों से कहता हूँ मैं हाँ, समुद्र हूँ मैं।