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Puneet Sangwan

Abstract Romance Tragedy

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Puneet Sangwan

Abstract Romance Tragedy

रूह

रूह

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तेरे बिना ज़िंदगी से कोई शिकवा नहीं

क्या करूँ ऐसे शिकवे का जो तू नहीं

जाने जान मोहब्बत तो बस एक

ज़रिया है तेरे से मिलने का


तू है तो मोहब्बत से भी शिकवा नहीं

अल्फ़ाज़ बयान करते हैं ये रूह मेरी

दरअसल शिकवा तो ग़म से भी नहीं

पी लिया था साँसों ने उस ग़म को भी

आँसू तो आए नहीं


मगर साँसों की लपटों में ठेरी रही रूह मेरी

फिर भी तुझसे मुझे कोई शिकवा नहीं।


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