STORYMIRROR

Sudhir Srivastava

Abstract

4  

Sudhir Srivastava

Abstract

रोटी की अहमियत

रोटी की अहमियत

1 min
16

हर प्राणी की जरूरत रोटी है

क्योंकि भूख सबको ही लगती है 

और भूख का आखिरी विकल्प है रोटी।

दो जून की रोटी के लिए ही मानव

दिन रात भाग दौड़ करता है

तरह तरह के जुगाड़ करता है,

रोटी के लिए ही सतत संघर्ष करता है 

हर कोशिश के पीछे होती है दो जून की रोटी 

यह हमारी आपकी ही नहीं हर प्राणी की कहानी।

दो जून की रोटी की खातिर हर प्राणी

जाने कितना खून पसीना बहाता है

और सतत संघर्ष करता रहता है।

रोटी सिर्फ भूख ही नहीं मिटाती

हर रिश्ते की ताकत भी रोटी ही बनती, 

मानव मानव की औकात का बताती है। 

कोई कितना भी बड़ा आदमी हो

धन दौलत सुख सुविधाओं से भरा घर हो

चाहे जिस जाति धर्म मजहब का हो

चाहे जितना अमीर गरीब हो इंसान

पर रोटी से बड़ा कोई नहीं होता है।

दो जून को रोटी की खातिर ही

घर परिवार, अपनी माटी तक छूट जाती है,

हारी बीमारी सारी पीछे चली जाती है,

रोटी सब पर भारी पड़ जाती है।

चिलचिलाती धूप, भीषण ठंड या बरसात हो

दो जून की रोटी पहली जरूरत बन जाती है।

अच्छे अच्छों की औकात बता देती है

राजा हो रंक सबको श्रम की चक्की पिसाती है,

बिना परिश्रम दो जून की रोटी 

दिन में भी तारे दिखा देती है, 

सबको एक लाइन में खड़ा कर देती है,

रोटी अपनी अहमियत का मतलब

बिना भेदभाव सबको बताती रहती है।

रोटी भूख से अपने रिश्ते का महत्व 

समय समय पर समझाती है। 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract