रंग दे बसंती
रंग दे बसंती
रंगों का त्योहार है बीता,
आया दिवस शहीदी का।
लोगों को सौ रंग है भाते,
पर रंग सच्चा माटी का।
स्वागत है ऋतुराज तुम्हारा,
उत्सव का है नाम वसंत।
पहन चले जो बसंती चोगा,
उनको नमन है सदा अनन्त।
अद्भुत पद ऋतुराज तुम्हारे,
दिवा निशा को करें समान।
रंगे देख स्वागत में तेरे,
सब चेहरे हैं एक समान।
प्रेरित तेरे सम के भाव से,
हुए युवा जाने कितने।
चले मात को मुक्ति देने,
मुश्किल चाहे हों जितने।
पिचकारी से निकली धारा,
लाल हरे पिले वर्णों में।
'माये रंग दे बसन्ती' नारा
घुल जाता है पर कर्णों में।
आज़ादी है तेरी भारत,
खेल तू होली, मना तू मौज।
पर उनको तू भूल न जाना,
जो स्वयं में अपने एक फ़ौज।
मुक्ति का है पाठ पढ़ाता,
मार्ग देखता शांति का।
जिस के सर पे चढ़ा है प्यारे,
गाढ़ा रंग बसंती का।
