रंग बरसे
रंग बरसे
रंग बरसे होली का त्योहार
गुरु घर रंग बरसे
अंबर से रंगों की बौछार
गुरु के घर रंग बरसे
सोच के एसा निकली घर से
मिलता है हर सुख इस दर पे
कृपा गुरु की हो गई मुझपे
रंग गुरु का मुझपे बरसे
दील मे मेरे रच गये रंग
गुरु.....
पहला रंग सुनहरा पिला
गुरु कृपा की देखी लिला
दया धर्म की मुरत एसी
समझ गई जीवन का आधार
गुरु.....
जिसक घर मे हो हरीयाली
वही मनाये होली दिवाली
हरि भरी रहे बगीया मेरी
सिखे गुरुवर बनकर माली
रंगों में बरस रहा है प्यार
गुरु..,.
नीला रंग मुझपे छाया
सब कुछ मेरे समझ मे आया
एक दिन अंबर को छुना है
गुरुवर ने फिर याद दिलाया
मुझको दिखी मंजिल आया
गुरु.....
