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KAVY KUSUM SAHITYA

Abstract

3  

KAVY KUSUM SAHITYA

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रक्त बीज बन गया कोरोना

रक्त बीज बन गया कोरोना

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शत्रु विचित्र है, बना रक्त बीज है  

दहल गयी है दुनियां मौत इसका खेल है

 दहसत में है दुनिया घर में ही कैद है                   


खौफ में है दुनियां दूरी

बनाकर रहना गर चाहते हो जीना   

दहशत में है दुनिया घर में ही कैद रहना

बंद हुआ हाथ से हाथ का मिलना हुआ      


एक से बनता अनेक है रक्त बूँद

नहीं फिर भी रक्त बीज है     

हाथ से हाथ साथ से साथ मिलने से

बनती है ताकत शक्तशाली रक्त बीज है        

टूट जाए श्रंखला तो समझों पस्त रक्त बीज हैं               


विश्व मानवता को देता चुनौती

घात से घायल दुनियां का हर देश है                   

देता चुनौती एक साथ मिल गए सौ पचास सब पर

आक्रमण एक साथ निति नियत् रक्त बीज है  


भेद भाव नहीं क़ोई संक्रमण का

आक्रमण हथियार रक्त बीज है                

व्यवहार और न्याय चुनैति शक्ति यही रक्त बीज है       

आसान रक्त बीज है लड़ना आसान

जिंदगी है जीना बहुत आसान है रक्त बीज से मरना


सयम संकल्प ही मात्र शत्र है आएगा

कब किधर से नहीं ज्ञात नहीं                   

रक्त के किस बूँद से बन गया

सहत्र यही तो रहस्य रक्त बीज है                   

वर्दी में करता हर जान कि रक्षा सुरक्षा

गलतियों में देता हिदायत रक्त बीज से लड़ने कि ताकत    


कही हद से गुजर जाते अपनी हरकतों से

अपने ही रक्षक को आहत कर जाते          

रखते नहीं मान अभिमान रक्त बीज

कोरोना से युद्ध में खुद पे करते आत्म घात         


श्वेत, शौम्य, में वैद्य सुखेंन, धन्वन्तरि सेविका

सब कर्म धर्म से से करते प्रयास ना जाये किसी की जान                 

इनको भी सुकून से करने नहीं देते

अपनी ही हिफ़ज़ात का काम इंतज़ाम            


 स्वक्षता करता दींन दयाल स्वस्थ रहे

स्वच्छ रहे देश उसका भी करते उपेक्षा अपमान       

वर्दी के सिपाही, खाकी स्वेत श्याम रक्तबीज

कोरोना के युद्ध में श्रेष्ठ शत्र शास्त्र           


आओ हम सब करे इनका सम्मान

ये खुश रहे कभी ना निराश रहे

हम अपनी दुआओं से इनमे उर्जा,

उत्साह अपनेपन का संचार करे                


रक्तबीज कोरोना के इस माह युद्ध के उपयोगी

अश्त्रों को मानवता के नेह , धार ,धैर्य का अभिमान भरे 

सारथी समर्थ नर में नरेंद्र है सारथी के साथ

चलो सब साथ वक्त और हालात कि दरकार यही है


खांसी तेज बुखार साँस के विश्वास में

व्यवधान रक्त बीज कोरोना के वार यही है

सामाजिक दुरी ,नाक मुंह को ढकना है

जरुरी हाथ को रखो साफ़ यही पास हथियार है    


इस महायुद्ध में जीवन कि आवश्यकता सेवा देते 

रक्तबीज कोरोना से लड़ने में साहस हिम्मत देते               

ऐ ही सैनिक इस महायुद्ध के इनको चाहिये

प्यार सम्मान रक्त बीज कोरोना जाएगा हार    


रक्त बीज कोरोना का दुश्श्मन हर एक

इंसान कोरोना से लड़ने की ताकत भी हर एक इंसान   

अपनी ताकत हस्ती हद को जब जाओगे

पहचान रक्तबीज कोरोना को धूल

चटा कर भारत का रखो मान                 

विश्व गुरु भारत होगा राह दिखायेगा दुनिया को

भारत की दुनिया में होगी जय जय कार।   


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