रक्षाबंधन
रक्षाबंधन
राखी आई राखी आई
खुशियो भरा पैगाम लाई
रिमझिम सावन मल्हार मौसम लाई
बांध राखी बहन ने भाई की कलाई है सजाई
रोली अक्षत से तिलक कर मस्तक पर
फिर बहना ने मिष्टी मिठाई खिलाई
बचपन में पॉकेट मनी बचाकर मेरे लिए गिफ्ट लाना
मुझे प्यार से आशीष देना
रक्षा वचन देकर मुझे दिल से राखी की
रस्म तुमने मेरे भाई बखूबी निभाई
करती हूँ दुआ तेरे लिए मेरे भाई
तू जीवन में सदा खुश रहें
हर ग़म से तू अनजान रहे
प्रेम बंधन ये बना रहे
और मेरी राखी से सजाती रहे हर साल तेरी कलाई
बाबुल का घर छोड़ शादी कर चली साजन के घर
मेरी बहना से बिछड़ने की घड़ी आई
बचपन की वो शरारतें, खेल वो मीठी यादे वो साथ बिताए गुज़रे लम्हे
तेरे जाने के बाद बुहत याद आई
सूना सूना घर का आगन, कोना
तेरा साथ न होना
कमी तेरी हर पल लगती बहना
तुझे याद कर मेरे आँख अश्रुधारा से छलक आई
बड़े होकर भाई मेरे तुमने आर्मी की नोकरी है पाई
देश की रक्षा करने की कसम तुमने है खाई
प्राणों की परवाह न करते हुए तुमने दुश्मन से
मुकाबला कर देश (भारत माता) की लाज बचाई
नाज है मुझे ऐसे भाई के लिए
शब्द नहीं हैं कुछ कहने के लिए
देश की रक्षा कर अपना कर्तव्य पूरा करने की रस्म तुमने बखूबी निभाई
दुआ करती हू तेरे लिए भाई
तुझे सदा सफ़लता मिले जीवन में
तू जहां जाए तेरा अभिनंदन हो जीवन में
प्रार्थना है मेरी ईश्वर से हर जन्म मुझे तेरे जैसा मिले भाई
आंखे नम है मन व्याकुल हैं तेरे इंतजार में
राखी के पावन त्यौहार पर भाई मुझे तेरी बुहत याद आई।
