रौशनी उम्मीद की
रौशनी उम्मीद की
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
मुश्किलों का दौर जब ऐसा
जिंदगी में तेरी आकर छाने लगे
देख घुप्प अन्धेरा इतना दिल
तेरा भी सोच कुछ घबराने लगे।
मुश्किलात न हों ये कैसे होगा
इंसां की जिंदगी क्यों पाने लगे
दरबदर भटके जब लोग यहां
आशियाँ रोज फिर बनाने लगे।
तूफ़ां की औकात ही क्या है
ऐ खग तेरे हौसलों के सामने
नतमस्तक होगा चरणों में ये
आसमाँ भी नजरें झुकाने लगे।
उठा नजर देख आसमाँ को
पंख तू भी फिर फैलाने लगे
जमीं को आशियाँ तो बनाले
लोग तेरी नज़्म गुनगुनाने लगे।