STORYMIRROR

Vishnu Charag

Inspirational

3  

Vishnu Charag

Inspirational

रातें मुस्कुराईं

रातें मुस्कुराईं

1 min
28


भीगी सी यह चांदनी,

मन भावन सुहावनी।

न जाने क्यों? ये चहचहाईं,

आज फिर से मेरी रातें मुस्कुराईं।।


आज गगन के तारे देखे,

बड़ी देर तक सारे देखे।

देख उन्हें मृदुल हँसी आई,

आज फिर से मेरी रातें मुस्कुराईं।।


मृदुल चांदनी मुझ को घूरे,

ज्यों रह गए हों कुछ स्वप्न अधूरे।

इन सपनों से है कठिन लड़ाई,

आज फिर से मेरी रातें मुस्कुराईं।।


रातों को मैं बैठा अकेला,

चंचल मन मेरा हर पल डोला।

बीते दिनों की यादें आईं,

आज फिर से मेरी रातें मुस्कुराईं।।


है कोई जो मुझ को समझे,

रहता हूँ मैं खुद में उलझे।

इन उलझन से क्यों? मैंने प्रीति लगाई,

आज फिर से मेरी रातें मुस्कुराईं।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational