राष्ट्रप्रेम गीत (8)
राष्ट्रप्रेम गीत (8)
गीदड़ देते गीदड़ भभकी,
सिंह न उस पे ध्यान धरे।
जो रण में जा सिंह दहाड़े,
बिन मारे तुम सवाई मारे।।
थोथा चना ही बजता घना है,
न भारी आवाज करे।
भारी की जब आए बारी,
काम न तुमरे जतन करे।
खाली बादल गर्जन करते,
भरी बदलिया बाढ़ करे।
हम जो आए वर्षा करने,
डूब सबई तुम तुरत मरे।।
बच्चों जैसी लुका - छुपी ना,
हम रण में जो पांव धरे।
पांव तो तुमसे उखड़ेगा न,
सबई चरण में माथ धरे।।
मूरख तुम नादानी करते,
नहीं जानते हम जो करे।
बंदी बनाये आके तुमको,
लहर लहर तिरंगा फहरे।।
