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Sunil Gupta teacher

Inspirational

4.3  

Sunil Gupta teacher

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राष्ट्रप्रेम गीत (21)

राष्ट्रप्रेम गीत (21)

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वो देके गये , आंसमा और जमी ।

अपना तन है , निछावर वो करके गये ।।

हमको सांसें , खुली वो हवा दे गये ।

जेल और कूप में , जाके घुट मर गये ।।


खाने पीने की चिंता , करी ही नहीं ।

फांके में उनके दिन , यूँ गुजरते गये ।।

कष्ट तन में रहे , उनने उफ न करी ।

आह उनकी जुबां से ,न निकली कभी ।।


घर के कामों की चिंता , करी ही नहीं ।

देश अपने की चिंता में, मरते गये।

चिंता से जल के तन, चिता हो गया।

जीते जी वो, हमेशा ही मरते गये ।।


यातनाएँ सहीं , पर डिगे वो नहीं ।

अपनी माता को , आजाद कर के गये ।।

धुन हमेशा ये उनके , सिरों पे रही ।

देश से वो , फिरंगी भगा के गये ।।


 हम सदा ही रहेंगे , ऋणी आपके | 

फूल श्रद्धा सुमन , हम चढ़ाते गये ।।

 बच्चे बूड़े सभी हैं , श्रध्दावनत | 

गीत गाथा सदा , उनकी गाते गये ।।





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