रानी लक्ष्मीबाई
रानी लक्ष्मीबाई
रानी लक्ष्मीबाई की बात सब निराली थी
पहचाने गई झांसी जिनसे वह पहचानी थी
अपने पथ पर चलकर राह दिखाई थी
लड़कर मरदानीने दुश्मनों को धूल चटाई थी
स्त्री-पुरुष का भेद मिटाकर लड़ी वह मर्दानी थी
खींचकर तलवार दो हाथों से लड़ी वह मर्दानी थी
अबला को बल देने चला समाज आज है
लक्ष्मीबाईकी राह चलकर क्यों ना करें रक्षण खुद का आज है ?
सब वीरों की गाथा सिर्फ हमें ना सुनानी है
सीखकर कुछ बात उनसे राह जीवन में बनानी है।