कर्म का फल
कर्म का फल
ए नादाँ.. बेवफा हो के ना हो खुश इतना !
करेगा कर्म जैसा , मिलेगा फल बस उतना
माना की आज चल रहा सब वक्त है तेरा
धोखा देकर तू चला, उसका भी वक्त आएगा
जैसे और जितने बीजों को तू जग में बोएगा
वैसे ही रंग, स्वाद और फल तू जग में पाएगा
क़ाफिले बना कर जीत की वाह अभी पाएगा
दुःखी कर किसी की, रूह की आह भी पाएगा
कर कर्म अच्छा तो माना कि, धर्म तेरा अच्छा
कर्म के खेल जिसके सच्चे, धर्म है वो सब सच्चे