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Jay krishna Jha

Action Inspirational

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Jay krishna Jha

Action Inspirational

राह कठिन और पथिक तन्हा हुं

राह कठिन और पथिक तन्हा हुं

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द्वंद्व ये दिल किसे बताऊं... 

राह कहिन और पथिक तन्हा हूं

मंजिल कहां है मालूम नहीं, 

हर मोड़ पर चौराहे दिखते हैं

सही राह दिखाता कोई नहीं

एक तन्हा, टूटा सा मैं 

किस राह कदम बढ़ाऊं मालूम नहीं..

सिर्फ चलता ही जाऊं, ऐसा भी हो नहीं सकता,

की एक मंजिल पाने को कोई कैसे 

एक जीवन में दो जी सकता है।

चलना संभल के होगा 

हर चौराहे पर रास्ता अपना चुन ना होगा

मंजिल ही लक्ष्य है अपना

ना दिखे तो मंजिल को सूँघ के चलना होगा

द्वंद्व ये दिल की कैसे बातें

राह काठिन और पथिक तन्हा हूँ

मंज़िल कहाँ है मालूम नहीं



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