प्यार का ग़म
प्यार का ग़म
कुछ मिले, तन्हाई के सिवा,
ऐसी किस्मत नहीं लगती है
तक़दीर लिखी है जिसने मेरी,
शायद उससे अब मेरी, नहीं बनती है
आधे अधूरे ख़्वाबों के दिल पे,
टुकड़े सारे फैले मिलते हैं
उम्मीदों के चेहरों पे अब तो,
कपड़े भी अब, मैले दिखते हैं।।
खाली खाली ये दुनिया, तुम बिन
कहाँ अब अच्छी लगती है हमको
रख लो एक कोने में दिल के
नहीं अगर है, शिकवा तुम को ।।
हर बात तुम्हें कह पाना मुश्किल है,
बातों को तुमसे, छुपाना मुश्किल है
हर पल कटते है, सालों के जैसे ,
अब सालों तुम बिन, रह पाना मुश्किल है।।