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Nirupama Naik

Abstract

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Nirupama Naik

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प्यार का एहसास

प्यार का एहसास

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अनजाने होकर भी दोनों में लगाव

अपनापन और स्नेह का भाव

न कोई बन्दिश न कोई दबाव

कड़ी धूप में भी एक अनजानी छाँव

यही तो प्यार है


निःस्वार्थ सब कुछ सौंप देना

बदले में सिर्फ प्यार लेना

एक दूसरे की ख़ामियों को स्वीकार करना

पास आने में थोड़ा-थोड़ा डरना

यही तो प्यार है


न तन न धन न गुण-अवगुण

न कुछ कर चीज़ की जाँच में

जलते हैं दोनों जब अजनबी एहसास के

धीमी सी आँच में।

न कुछ अच्छा न बुरा लगने लगता है

बस नया से एक उमंग

दिल की गहराइयों में जगता है


न दिन कटे न रात बीते इंतज़ार में

जब जीत का एहसास हो ख़ुद की हार में

जब तोड़ के समाज की रूढ़ियों को

मुक्त उड़ान भरने की आवाज़ आये,

दिल की पुकार में


बिना धुन के जब साज़ कोई सजने लगे

भूलकर ख़ुद को एक दूसरे में राझने लगे

ख़्वाहिशों का शैलाब जब भर-भर के किनारे छूने लगे

जैसे अनछेड़ा सा तार किसीने छेड़ दिया,

और मधुर सा गीत कोई बजने लगे


तन्हाइयों का मज़ा भी आने लगे धीरे-धीरे

एक पल का मिलना भी सुकून दे जाए

खुली आँखों मे बस वही चेहरा और

बंद आंखों में उसीके ख्वाब नज़र आये

जब लगे सबकुछ बदला-बदला, और नया से संसार है

हाँ यही है वो ख़ास एहसास हाँ यही तो प्यार है।


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