प्यार और दोस्ती
प्यार और दोस्ती
हमारा रिश्ता कुछ यूं बदनाम हुआ
वो दोस्ती निभाती रही,और
मैं इश्क कर बैठा
वो अपनी खामोशी का कारण
दोस्त समझ कर बताती रही
और,मैं इश्क़ समझ कर उसे सुनता
रहा
वो दोस्त समझ कर
शेयर करती रही, और
मैं इश्क़ समझ कर उसे महसूस करता रहा
जितना वो अपनी दोस्ती के बंधन में
बांध चुकी है, उससे
थोड़ा भी मैं अपने इश्क़ में बांध नहीं
पाया, उसे
और वो दोस्ती निभाती रही, और
मैं इश्क़ कर बैठा
उसकी दोस्ती और मेरे इश्क़ में
एक शर्त लगी
मेरे इश्क़ से सच्ची उसकी दोस्ती
लगी
वो दोस्ती निभाती रही, और
मैं इश्क़ कर बैठा
और दोस्ती भी निभाई कुछ ऐसे
उसने
कि अपना इश्क़ भूल
उसकी दोस्ती को कबूल करबैठा।