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AJAY AMITABH SUMAN

Inspirational Others

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AJAY AMITABH SUMAN

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पतवारें बनो तुम

पतवारें बनो तुम

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मौजों से भिड़े हो पतवारें बनो तुम,

खुद ही अब खुद के सहारे बनो तुम।


किनारों पे चलना है आसान बहुत पर,

गिर के सम्भलना है आसान बहुत पर,

डूबे हो दरिया जो मुश्किल हो बचना,

तो खुद ही बाहों के सहारे बनो तुम,

मौजों से भिड़े हो पतवारें बनो तुम।


जो चंदा बनोगे तो तारे भी होंगे,

औरों से चमकोगे सितारों भी होंगे,

सूरज सा दिन का जो राजा बन चाहो,

तो दिनकर के जैसा अंगारे बनो तुम,

मौजों से भिड़े हो पतवारें बनो तुम।


दिवस के राही रातों का क्या करना, 

दिन के उजाले में हीं तो है चढ़ना,

सूरजमुखी जैसे चाहो चमकना तो,

उल्लू के दृष ना अन्धियारे बनो तुम,

मौजों से भिड़े हो पतवारें बनो तुम।


अभिनय से कुछ भी ना हासिल है होता,

अनुनय से भी कोई काबिल क्या होता?

संधि में शक्ति अरि दल को तब दिखती,

जब संबल हाथों के हथियारे बनों तुम, 

मौजों से भिड़े हो पतवारें बनो तुम।


विपदा कैसी भी हो वो नर ना हारा,

जिसका निज बाहू है किंचित सहारा।

श्रम से हीं तो आखिर दुर्दिन भी हारा,

कि सज्ज धारें तलवारें बनो तुम।

मौजों से भिड़े हो पतवारें बनो तुम।


खुद हीं अब खुद के सहारे बनो तुम,

मौजों से भिड़े हो पतवारें बनो तुम।


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