पतझड़ और सावन
पतझड़ और सावन
अभी तन है पतझड़ सा प्रिये
मन भी है पतझड़ सा प्रिये।
मिलते हैं सावन की शुरुआत प्रिये
अभी है पतझड़ की साम प्रिये।।
ऐसी है पतझड़ की कथा प्रिये
जैसे है मेरे दिल की व्यथा प्रिये।
पतझड़ से पहले पतझड़ सा प्रिये
पतझड़ में भी हूँ पतझड़ सा प्रिये।।
मिलते हैं सावन की शरुआत प्रिये।
अभी है पतझड की साम प्रिये।।
मैं हूं पतझड का फूल प्रिये
तुम हो सावन की फूल प्रिये।
तुम हो खिले हुए फूल प्रिये
मैं हूँ खिलता हुआ फूल प्रिये।।
मिलते हैं सावन की शुरुआत प्रिये।
अभी है पतझड का साम प्रिये।।
मैं हूँ पतझड वाल लाल प्रिये
तुम हो मधुशाला की जाम प्रिये।
तुम हो सावन की झूला प्रिये
मैं हूं उस झूले की डोरे प्रिये।।
मिलते हैं सावन की शुरुआत प्रिये।
अभी है पतझड की साम प्रिये।।
तुम हो सावन की डाल प्रिये
मैं हूँ पतझड वाली शाख प्रिये।
तुम हो कोयल की राग प्रिये
मैं हूँ पतझड का अनुराग प्रिये।।
मिलते हैं सावन की शुरुआत प्रिये।
अभी है सावन की शाम प्रिये।।
मैं तो हूँ पतझड वाला आनन्द प्रिये
तुम लेती सावन का ही आनन्द प्रिये।
बिन पतझड सावन का कैसा आनन्द प्रिये
पतझड का भी तो लो तुम आनन्द प्रिये।।
मिलते हैं सावन की शुरुआत प्रिये।
अभी है पतझड की शाम प्रिये।।
झूठे रिश्ते झड़ जाते पतझड में प्रिये
नए रिश्ते हैं खिलते सावन में प्रिये।
आनन्द का है आनन्द पतझड में प्रिये
तुम तो लेती हो आनन्द सावन में प्रिये।।
मिलते हैं सावन की शुरुआत प्रिये ।
अभी है पतझड की शाम प्रिये ।।