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पथ कंटीला था माँ तेरा

पथ कंटीला था माँ तेरा

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पथ  कंटीला था  माँ  तेरा,

जीवन ने  दिन चार दिए।

बीच अभावों के जी ली तुम,

अपनों को बस प्यार दिए!

 

आँधी- तूफाँ, बाढ़- सुनामी

सब ने कितने वार किए।

पोखर-नाले, सागर-नदिया

फिर भी तुम ने पार किए!

 

आज बनी तुम एक कहानी,

नई कलम की धार लिए।

नज़्म बनी तुम बनी गीतिका,

छंदों का सहकार लिए।


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