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सिमटा जब संसार

सिमटा जब संसार

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तुम्हारा खिलखिलाता चेहरा देखकर   

बाग की कलियाँ भी

झुककर तुम्हें सलाम करती थी,

मेरी प्यारी माँ!

सारा संसार तुम्हारा था, पर आज?

तुम्हारे मुरझाए होठों पर ठहरी है

रीती खुशियों की गागर!

तुम्हारा संसार

सिमट गया है एक एयर बेग में

जिसमें है कुछ कपड़े,

दवाइयों का बॉक्स,

ऐनक, तुलसी की माला, कंघी, टूथब्रश,

एक कलम और कागज़ का एक टुकड़ा

जिसमें तुम्हारे अपनों के फोन नंबर हैं!

 

रात-रात भर जागती रहती हो तुम।

मैं चाहती हूँ,

तुम्हारी माँ बनकर

आज तुम्हें एक मीठी लोरी सुनाऊँ,

पर क्या करूँ माँ?

मैं भी उसी संसार में व्यस्त हूँ,

यह जानते हुए भी

कि एक दिन सिमट जाएगा

मेरा यह संसार एक एयर बेग में!


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