STORYMIRROR

हसी के गुलदस्ते

Romance

4  

हसी के गुलदस्ते

Romance

" प्रस्ताव दिवस "( प्रपोज डे )

" प्रस्ताव दिवस "( प्रपोज डे )

1 min
584

प्रपोज डे की एक गुलाबी शाम

आपस में मिले दो ........ गुमनाम।


रवि की किरणें छटा बिखेर रही थीं

उपवन की बेंच पर कोई रूपसी बैठी थी।


एक भोला भाला नौजवान उसके समीप आया

हाथों में था कोई वो पुष्प सा लाया ।


आम लड़कों से वो कुछ हटकर खड़ा था

क्योंकि गुलाब की जगह वो कमल लिए खड़ा था।


धीमे से वह युवती के ......करीब आया 

और दिल थामकर पुष्प उसकी ओर बढ़ाया ।


युवती शरमाई, मन ही मन वो मुस्कुराई

फूल लेकर ली वो , एक जोरदार अंगड़ाई ।


अचानक मानों वहां कोई भूचाल आया 

युवक के गाल पर एक जोरदार तमाचा टकराया ।


युवती का मासूम चेहरा था तमतमाया

लड़के को होश कुछ देर बाद आया ।


और बड़ी मासूमियत से उसने ये बात कही

मैडम जी क्या मैंने कोई गलत बात कही।


पहले तो आपने प्रेम से पुष्प को थामा

फिर ये कैसा है आपका ड्रामा और हंगामा ।


युवती बोली इडियट, गधे, बेवकूफ

पहली मुलाकात में ही हो गए बेतकल्लुफ़।


मेरे अनाड़ी,आवारा, पागल, हरजाई

इतनी सी बात तुमको समझ ना अाई।


तुमने मुझे भाजपा का चिन्ह "कमल" भेंट किया

और मैंने तुम्हें कांग्रेस का " पंजा " थमा दिया।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance