प्रकृति
प्रकृति
प्रकृति ने हमें दिए कई तोहफे है धरती उनमें से एक है
बदले में ज्यादा कुछ नहीं लेती नियत इसकी नेक है।
आज इस धरती की हमने कर दी क्या हालत है
जानवर भी रखते है इसका ख्याल, मनुष्य पर लानत है।
इसका ध्यान रखना जिम्मेदार है,और समस्या बहुत विकट है
अभी संभल जाओ वरना अंत निकट है।
इस धरती से है कुछ लेते पर इसी को नही संभाल पाते है
सायद इसी लिए इंसान स्वार्थी कहलाते हैं।
मतलबी है सारे सिर्फ खुद से ही बस मतलब है
अभी मौका है संभल जाओ वरना अंत निश्चित है।
