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Suvarna Jadhav

Abstract

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Suvarna Jadhav

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प्रकृति

प्रकृति

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प्रकृति की बात ही न्यारी

हर एक को लगती है प्यारी।


रंग बदलता अंबर

लहराती हरियाली प्यारी प्यारी।


प्रकृति की सुंदरता से नजर नहीं हटती

दूसरी ओर कचरा ही कचरा

उसपे नजर नहीं टिकती।


प्रकृति की सुंदरता

मन को आकर्षित करती है।


तो बढ़ती कचरा कुंडी

मन को चिंतित करती है।


देखो इन्सान ने प्रकृति को

क्या से क्या बना दिया,

कल तक जो सुंदर थी

कचरे का ढेर बना दिया।


आओ मिलकर सब कचरा साफ करें

प्रकृति को फिर से खूबसूरत करें।


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